मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं पाया…
अपने सुसाइड नोट में रोहित वेमुला
हैदराबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र रोहित चक्रवर्ती वेमुला की आत्महत्या को चार साल हो गए हैं. 26 वर्षीय दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को युनिवर्सिटी के होस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.रोहित अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे. इससे जुड़कर रोहित सामजिक कार्य करते थे. वो कैंपस में दलित छात्रों के अधिकार और न्याय के लिए भी लड़ते रहे थे. लेकिन रोहित वेमुला को स्थानीय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत के बाद चार और छात्रों के साथ निलंबित कर दिया गया था, इसके बाद वेमुला को मिलने वाली 25 हजार प्रति माह की फेलोशिप को भी रोक दिया गया था, दावा किया जाता है कि उन्हें “अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन” के बैनर तले “मुद्दों को उठाने” के लिए निलंबित किया गया था।दरअसल ASA के खिलाफ एबीवीपी की शिकायतें उनियन मंत्री बंदारु दत्तात्रेय तक पहुंची और उनियन मंत्री ने ये शिकायतें तत्कालीन HRD मंत्री स्मृति ईरानी को भेज दी, इसके बाद स्मृति ईरानी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए.

निलंबन के बाद फेलोशिप रुकने से वेमुला के लिए अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाना मुश्किल हो गया. यहां तक कि उन्हें और चार छात्रों को उनके हॉस्टल कमरों से निकाल दिया गया, इसके खिलाफ वेमुला और उनके चार साथियों ने कैम्पस में ही एक तंबू गाड़ दिया और एक भूख हड़ताल पर बैठ गए। इसे वेलीवाडा या दलित बस्ती का नाम दे दिया गया.
जब लम्बे समय तक भूख हड़ताल पर बैठने और उनके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ने के बावजूद उन्होंने न्याय नहीं मिला। जब वेमुला की सारी उम्मीदें टूट गईं तो 17 जनवरी 2016 को उन्होंने आत्महत्या कर ली. वेमुला ने एक सुसाइड नोट भी लिखा जो उन्होंने ASA के झंडे के साथ छोड़ा था. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने अधूरे सपनों की बात की थी।
विश्वविद्यालय और सरकार ने उसके मौत के कारणों को जानने की कोशिश करने की बजाय वेमुला की जाति पर ध्यान केंद्रित किया है, विश्वविद्यालय दावा करता है कि वह पहले से ही एक दलित नहीं थे। हालांकि वेमुला की मौत के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय में आंदोलन शुरू हुआ. लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ आंदोलन के बावजूद डीन अप्पा राव पोडिले जो वेमुला की मौत के बाद छुट्टी पर चले गए थे, अपने पद पर लौट आए. ये ही नहीं उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से सम्मान भी मिला। लेकिन वेमुला की मौत के बाद उनके सुसाइड नोट ने सभी को दहला दिया और उसमे लिखे एक -एक शब्द ने देश को झकझोर दिया। तब लोगों को एहसास हुआ कि देश ने एक अच्छा विद्वान खो दिया है.