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ओडिशा: गाय के नाम पर दलित युवकों की पिटाई, घास खिलाई, नाले का पिलाया पानी

ओडिशा में भीड़तंत्र और तथाकथित गोरक्षकों की बर्बरता ने मानवता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। राज्य के गंजाम ज़िले में गौ-तस्करी के आरोप में दो दलित युवकों के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं। दोनों युवकों को न केवल बेरहमी से पीटा गया, बल्कि उनका आधा सिर मुंडवा दिया गया। इसके बाद उन्हें जबरन घास खिलाई गई, नाले का गंदा पानी पिलाया गया और घुटनों के बल चलने पर मजबूर किया गया।


यह दिल दहला देने वाली घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि पीड़ित बबुला नायक और बुलु नायक, हरिऔर इलाके से दो गाय और एक बछड़ा अपने गांव सिंगिपुर ले जा रहे थे। इसी दौरान खरिनुमा गांव में कथित गोरक्षकों ने उन्हें रोक लिया और 30 हजार रुपये की मांग की। जब पीड़ितों ने पैसे देने से इनकार किया, तो उन पर बेरहमी से हमला किया गया और अमानवीय अत्याचार किए गए।

पीड़ितों के अनुसार, वे अपनी परिवार में लड़की की शादी के लिए दहेज के उद्देश्य से मवेशियों को ले जा रहे थे। इसी बीच, खरिनुमा में आरोपियो ने वसूली की मांग की और इसके लिए मना कर पर उन पर गौहत्या और मवेशियों की अवैध बिक्री का आरोप लगाया। उन्हें निर्वस्त्र कर रस्सियों से बांध दिया गया और बर्बरता की सारी हदें पार कर दी।


किसी तरह जान बचाकर पीड़ित पुलिस थाने पहुंचे और लिखित शिकायत दर्ज कराई। धारकोट पुलिस ने अब तक 9 आरोपियों को हिरासत में लिया है और बाकी की तलाश जारी है। गंजाम के एसपी सुवेंदु कुमार पात्र ने बताया कि दोनों पीड़ितों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया है और मामले की जांच चल रही है।

राहुल गांधी की तीखी प्रतिक्रिया
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:
“ओडिशा में दो दलित युवकों को घुटनों पर चलने, घास खाने और गंदा पानी पीने पर मजबूर करना सिर्फ़ अमानवीय नहीं, बल्कि मनुवादी सोच की बर्बरता है। ये घटना उन लोगों के लिए आईना है जो कहते हैं कि जाति अब मुद्दा नहीं रही। दलितों की गरिमा को रौंदने वाली हर घटना, बाबा साहेब के संविधान पर हमला है – यह बराबरी, न्याय और मानवता के खिलाफ साज़िश है। भाजपा शासित राज्यों में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं क्योंकि उनकी राजनीति ही नफ़रत और ऊँच-नीच पर टिकी है। विशेषकर ओडिशा में एससी, एसटी और महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। देश संविधान से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं।”

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