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मेगा जॉब फेयर में बिहार के बेरोज़गारों की भीड़, सरकार को बड़ा संदेश

बिहार के पटना जिले से आई ये तस्वीरें राज्य के उबलते युवा आक्रोश की गवाही हैं, जिसे यह सरकार बेरोजगारी, झूठे वादों और खाली जुमलों की आग में झोंकती रही है। इन तस्वीरों को देखकर साफ़ हो जाता है कि देश के युवाओं की सबसे बड़ी जरूरत अब वादे नहीं, बल्कि ठोस रोजगार के मौके हैं।

शनिवार को पटना के ज्ञान भवन में कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘महा-रोज़गार मेला’ में जुटी भीड़ इस बात का प्रबल प्रमाण थी कि युवा अब खाली सपनों से तंग आ चुके हैं। हजारों बेरोज़गार युवा हाथों में बायोडेटा और आंखों में उम्मीद लिए इस मेले में जुटे — ऐसा लगा मानो इन्हें आखिरी बार मौका मिला हो। इस विशाल जनसैलाब को संभालना आयोजकों के लिए भी चुनौती बन गया, जिससे सुरक्षा बलों को हस्तक्षेप करना पड़ा। यह भीड़ सरकार को साफ संदेश दे रही थी कि “हमें भाषण नहीं, नौकरी चाहिए!”

जानकारी के मुताबिक, मेले में करीब 45,000 युवाओं ने पंजीकरण कराया था। शुरुआत में 5,000 नौकरियों का प्रस्ताव था, लेकिन युवाओं की भारी संख्या को देखकर यह बढ़ाकर 20,000 कर दिया गया। मौके पर 100 से अधिक कंपनियों ने साक्षात्कार लिया और कांग्रेस ने दावा किया कि लगभग 7,000 युवाओं को रोजगार दिया गया है। इसके अलावा कई युवाओं को अगले चरण के इंटरव्यू के लिए चयनित किया गया है।

बिहार में रोजगार की समस्या वर्षों से एक गहरा घाव बनी हुई है। राज्य की युवा आबादी को सरकार की अनदेखी और वादों के अलावा कुछ नहीं मिला। लाखों नौजवानों के लिए रोजगार की तलाश में पलायन मजबूरी बन गई है। विपक्ष ने इस मेगा जॉब फेयर का आयोजन पहले दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में किया था। खास बात यह रही कि इन राज्यों में आयोजित रोजगार मेलों में भी सबसे बड़ी भागीदारी बिहार के युवाओं की रही, जिनमें से करीब 700 का चयन हुआ था।

इस बीच, राजनीतिक पार्टियां बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं, जहां सत्ता पाने की रेस तेज हो चुकी है। ऐसे में विपक्ष द्वारा आयोजित इस रोजगार मेले को सरकार ने ‘चुनावी ड्रामा’ कहकर नकारा है। लेकिन इस मेले में उमड़ी भीड़ और बेरोजगार युवाओं की मांग साफ़ कह रही है कि रोज़गार अब कोई चुनावी नारा नहीं, बल्कि जरूरत है।

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