आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया जब राहुल गांधी ने भाजपा को थैंक्यू बोल दिया। मोदी जी को थैंक्यू बोल दिया। अमित शाह को थैंक्यू बोल दिया। और सबसे ज़्यादा तो थैंक्यू बोला असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वसरमा को। और इसके बावजूद बोला कि उन्होंने न्याय यात्रा को रोकने में अपनी तरफ़ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। न्याय यात्रा पर मणिपुर से रवाना हुए राहुल गांधी ने सबसे ज़्यादा दिल से थैंक्यू अगर किसी को बोला है तो वो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी।
इसके पहले गुवाहाटी में न्याय यात्रा को घुसने से रोकने के लिए ज़बरदस्त बैरिकेडिंग कर दी गई थी। असम के मुख्यमंत्री ने पहले ही चुनौती दे दी थी कि हम यात्रा को गुवाहाटी शहर में नहीं घुसने देंगे। दरअसल जब से राहुल ने कुत्ते को बिस्कुट खिलाने के चक्कर में हिमंता बिस्वसरमा की अनदेखी की है तभी से हिमंता ग़ुस्से में हैं। ऐसा लगता है जैसे वो इंतज़ार में हैं कि किसी रोज़ राहुल उनसे मिलने उनके घर आए और वो अपने कुत्ते को बिस्कुट खिलाते रहें। और राहुल को पूछें तक नहीं। उनका ये इंतज़ार तो खैर अभी तक पूरा नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। बौखलाए हुए हिमंता बिस्वसर्मा ने डीजीपी को कहा कि राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर दो। सीएम का हुक्म था डीजीपी ने आईजी से कहा, आईजी ने कोतवाल से कोतवाल ने कहा थानेदानर से और थानेदार ने सब इंस्पेक्टर को कहा। सब इंस्पेक्टर ने लिख दिया मुक़दमा। जब हमारे मालिक ने मना किया था तो यात्रा का रूट कैसे बदला। गुवाहाटी शहर के अंदर कैसे घुसे। राहुल ने कहा गांव-गांव में चर्चा चल रही है कि विश्व हिंदू परिषद की पदयात्रा नहीं रुकती। उनसे ट्रैफ़िक जाम नहीं होता। हमारी रोक दी जाती है। लोग इसको समझ रहे हैं। आपने तो हमारा काम आसान कर दिया। क्योंकि टीवी तो हमको दिखाता नहीं। अख़बार वाले तो छापते नहीं। भाजपा के आगे बीन बजाने से उन्हें फ़ुरसत नहीं। ऐसे में कम से कम ख़बर तो बन रही है। ऐसे तो हम चुपचाप निकल जाते। किसी को ख़बर मिलती किसी को नहीं मिलती। लेकिन भाजपा वालों का थैंक्यू कि उन्होंने इसे जन जन तक पहुँचा दिया।
राहुल ने कहा जब वो यात्रा को डिसरप्ट करते हैं वो यात्रा की मदद करते हैं। मैं तो चाहता हूं कि वो डिसरप्ट करें। मुझे कॉलेज के जाने से रोका। इसपर पूरे कॉलेज के लोग बाहर आ गए। मैं तो बहुत खुश हूं जितना करना है करिए। मजा आ रहा है। अब सवाल है कि राहुल गांधी को तो मज़ा आ रहा है। लेकिन क्या कांग्रेस को भी मज़ा आ रहा है? चुनाव में क्या होगा। यात्रा से वोट भी मिलेगा। इस समय सबसे बड़ा सवाल तो यही है। ख़ासकर अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से जिस तरह का माहौल बना है उसमें राहुल गांधी की यात्रा क्या भाजपा की तीर्थयात्रा का राजनीतिक जवाब बन सकती है। पूछा गया राहुल गांधी के पास इसकी क्या काट है। राहुल का जवाब बहुत सीधा था। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया दूसरी तरफ खड़ी हो जाए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। जिसके लिए मैं लड़ता हूं उसके लिए लड़ूंगा।” राहुल ने कांग्रेस की न्याय यात्रा के मक़सद को पाँच हिस्सों में बाँटा है। किसके-किसके लिए न्याय। युवा न्याय, भागीदारी न्याय, नारी न्याय ,श्रमिक न्याय। लेकिन इसके पहले का सवाल ये है कि न्याय का मतलब क्या। क्या राहुल गांधी के पास इसका कोई जवाब है? और अगर कोई जवाब है तो क्या वो जनता के जज़्बात से जुड़ने की सलाहियत रखता है।