बिहार विधानसभा का मानसून सत्र लगातार हंगामेदार बना हुआ है। बुधवार को चौथे दिन की दूसरी कार्यवाही के दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस गाली-गलौज और हाथापाई की नौबत तक पहुंच गई। सदन में इस दौरान ऐसा माहौल बन गया जिसने लोकतंत्र की मर्यादा को भी शर्मसार कर दिया।
दरअसल, चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर है। सरकार महंगाई, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था पर विफल है।” तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के विधायक मुद्दों से भाग रहे हैं और जवाब देने की बजाय व्यक्तिगत हमलों पर उतर आए हैं।
इस पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा, “जिसका बाप अपराधी हो, वो क्या बोलेगा” सम्राट चौधरी की इस टिप्पणी पर तेजस्वी यादव भड़क गए। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायक “हमारी मां-बहनों को गालियाँ दे रहे हैं।” तेजस्वी ने अध्यक्ष से मांग की कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जाए ताकि सच सामने आ सके।
इसके बाद सदन में हंगामा और बढ़ गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक अपनी-अपनी सीटों से उठकर नारेबाजी करने लगे। बात इतनी बिगड़ गई कि कुछ विधायक एक-दूसरे की तरफ बढ़ने लगे और हाथापाई की नौबत आ गई। सुरक्षा कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
अध्यक्ष ने दोनों पक्षों से कहा कि “सदन की गरिमा बनाए रखें। जनता आपसे तर्कसंगत बहस की उम्मीद करती है, न कि गाली-गलौज की।”
लेकिन सत्र के बाद भी बयानबाजी जारी रही। तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा, “सत्ता पक्ष के लोग मुद्दों पर बात नहीं करना चाहते। बस गाली देकर बहस को भटकाना चाहते हैं। ये लोग बिहार की जनता का अपमान कर रहे हैं।” वहीं, सम्राट चौधरी ने कहा कि “विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए व्यक्तिगत टिप्पणियां कर रहे हैं। हमारी सरकार जनता के लिए काम कर रही है।”
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र जारी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि, क्या यह सदन अब जनसमस्याओं के समाधान का मंच रह गया है, या फिर सिर्फ राजनीतिक ड्रामे और आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बनकर रह गया है?