चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली का वीडियो देखकर तो सुप्रीम कोर्ट भी तिलमिला गया. गुस्साए कोर्ट ने कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए कहा कि ये लोकतंत्र की हत्या है. कोर्ट ने कहा दुनिया के सबसे बड़े लोकत्रंत का मज़ाक बनाकर रख दिया है. इस हरकत के लिए तो अधिकारी पर मुकदमा चलना चाहिए। यानी बीजेपी अभी अपनी जीत की ख़ुशी पूरी तरह मना भी नहीं पाई थी कि मेयर के कामकाज पर रोक भी लग गई.
5 फरवरी को जब चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. तो कोर्ट ने रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले पर नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की क्या वह इसी तरह से चुनाव आयोजित करते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है. यह लोकतंत्र की हत्या है. हम हैरान हैं. सीजेआई यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. क्या यह रिटर्निंग ऑफिसर का व्यवहार है? ये ही नहीं सीजेआई ने प्रिजाइडिंग ऑफिसर के कैमरे में देखने पर कहा कि वह कैमरे में क्यों देख रहे हैं.? जहां कहीं भी नीचे क्रॉस है, वह उसे नहीं छूते हैं और जब यह ऊपर होता है तो वह इसे बदल देते हैं, कृपया रिटर्निंग ऑफिसर को बताएं कि सुप्रीम कोर्ट उस पर नजर रख रहा है. कोर्ट ने कहा कि वीडियो में साफ दिख रहा है कि वह कैमरे की तरफ देख रहा है और बैलट पेपर खराब कर रहा है. यानी मेयर चुनाव जीतने का जश्न मना रही बीजेपी और रिटर्निंग अधिकारी दोनों को सुप्रीम कोर्ट से जबरदस्त फटकार लग गई.
मामले में सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की. जैसे ही चीफ जस्टिस ने प्रिजाइडिंग ऑफिस का वो वीडियो देखा जिसमें वह वोटों को कथित रूप से रद्द कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का मजाक है. जो कुछ हुआ उससे हम बस स्तब्ध हैं. सीजेआई ने कहा “हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या की इजाजत नहीं दे सकते.” इसके बाद सीजेआई ने चुनाव का पूरा वीडियो पेश करने को कहा है और नोटिस भी जारी किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने बीजेपी को करारा झटका देते हुए चंडीगढ़ नगर निगम की 7 फरवरी को होने वाली पहली बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है.
सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को हाईकोर्ट भेज दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि मेयर चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों का पूरा रिकॉर्ड हाई कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के पास जब्त कर लिया जाए और मतपत्र, वीडियोग्राफी को भी संरक्षित रखा जाए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव में धांधली करते हुए पकडे गए रिटर्निंग ऑफिसर को भी नोटिस दिया है. नोटिस में अधिकारी को रिकॉर्ड सौंपने का आदेश दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में आप और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें उन्होंने भाजपा के नए चुने मेयर मनोज सोनकर को हटाकर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है। याचिका में दलील दी गई कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने वोटों की गिनती में हेराफेरी की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले कुलदीप कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से याची ने चुनाव पर स्टे लगाने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने स्टे लगाने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद कुलदीप कुमार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
मामले में चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी कर इस पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा गया था। वहीं कुलदीप कुमार की तरफ से इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई करने की मांग की गई थी। लेकिन, फिर भी चंडीगढ़ प्रशासन को हाईकोर्ट की तरफ से तीन हफ्ते का समय दे दिया गया है। अब इस मामले में 26 फरवरी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट से निराश होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कुलदीप कुमार को राहत मिली तो वहीं बीजेपी की बेचैनी बढ़ गई है.चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे 30 जनवरी को घोषित किए गए थे. जिसमें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस-आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को 20 वोट मिले थे. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने अपना कमाल दिखाकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए, जिसकी वजह से BJP के उम्मीदवार की जीत हुई.