यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जुड़े नियमों में आज यानी 1 अगस्त से बड़े बदलाव लागू हो गए हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी इन नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य UPI प्रणाली को अधिक सुरक्षित, तेज़ और स्थिर बनाना है। इन बदलावों का असर खास तौर पर उन यूज़र्स पर पड़ेगा जो बार-बार बैलेंस या ट्रांजेक्शन स्टेटस चेक करते हैं।
दिन में सिर्फ 50 बार बैलेंस चेक की अनुमति
नए नियमों के अनुसार, अब किसी भी UPI ऐप (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm आदि) के ज़रिए एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैंक बैलेंस चेक किया जा सकेगा। इससे सर्वर लोड में कमी आएगी और ऐप की कार्यक्षमता में सुधार होगा।
ऑटो-पेमेंट्स के लिए तय हुए टाइम स्लॉट
ऑटो डेबिट ट्रांजेक्शन जैसे EMI, सब्सक्रिप्शन, आदि अब केवल तीन समय स्लॉट में ही प्रोसेस होंगे – सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे के बीच और रात 9:30 बजे के बाद। इससे पेमेंट सिस्टम पर दबाव कम रहेगा।
ट्रांजेक्शन स्टेटस चेक पर भी लिमिट
यदि किसी ट्रांजेक्शन की स्थिति पेंडिंग हो, तो यूज़र उसे अधिकतम तीन बार ही चेक कर पाएंगे। साथ ही, हर प्रयास के बीच कम से कम 90 सेकेंड का अंतर आवश्यक होगा।
बैंक अकाउंट लिस्टिंग भी सीमित
एक मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक खातों की सूची (Bank Account Fetch) अब एक दिन में सिर्फ 25 बार ही देखी जा सकेगी।
कुछ ट्रांजेक्शनों पर शुल्क, लेकिन आम उपभोक्ताओं को राहत
नए नियमों के तहत कुछ विशेष UPI ट्रांजेक्शनों पर शुल्क लगाया गया है। हालांकि, इसका भार आम उपयोगकर्ताओं या व्यापारियों पर नहीं पड़ेगा। यह शुल्क केवल पेमेंट एग्रीगेटर्स को देना होगा।
उपभोक्ताओं पर सीमित असर
NPCI ने स्पष्ट किया है कि ये बदलाव केवल अधिक बार UPI सेवाओं का उपयोग करने वालों पर असर डालेंगे। आम उपभोक्ताओं के लिए यह नियम ज़्यादा असरदार नहीं होंगे।